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Summer School – Shri Girraj Maharaj College

Summer School

एकमेवाक्षर यस्तु गुरुः शिर्ष्य प्रबोधयेत् ।
पृथिव्यां नास्ति तद्दन्तवा चानृणी भवेत् ।। 

जो गुरु एक ही अक्षर शिष्य को पढ़ा देता है, उस छात्र के लिए भुमण्डल में ऐसी कोई वस्तु नही जिसे देकर वह अन्तणी हो जाये।

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